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Wednesday, 10 March 2021

मिथक पर भारी पड़ी आस्था:विक्षिप्त हो जाने के भय से सौ साल से नहीं हो रही थी पूजा, आज यहां होगा शिव-पार्वती का विवाहोत्सव

राजा उदयसेन के काल में दंडनायक गोमिभट्‌ट ने 3 फीट 9 इंच ऊंचे चतुर्मुखी शिवलिंग की पूजा के लिए 500 सोने के दिनार दिए थे। कहा था कि जब तक सूरज-चांद है, शिवलिंग पर दीप जलाने व प्रसाद का प्रबंध होता रहेगा।कैमूर का मुंडेश्वरी मंदिर देश का सबसे पुराना जीवित मंदिर है। प्रामाणिक साक्ष्यों से श्रीयंत्र आकार का अष्टकोणीय मंदिर 1913 साल पुराना है। तब से जारी पूजा-प्रसाद की परंपरा आजतक कायम है। परिसर से एक ही शिलालेख के दो टुकड़े मिले हैं।दोनों कोलकाता म्यूजियम में हैं।Reed all news

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