बिहार, भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है, जिसका मौसम मुख्यतः उप-उष्णकटिबंधीय (sub-tropical) है। यहाँ की जलवायु में चार प्रमुख मौसम होते हैं: गर्मी, मानसून, शीतल और सर्दी। प्रत्येक मौसम की विशेषताएँ और प्रभाव निम्नलिखित हैं:
### 1. **गर्मी (मार्च से जून)**
गर्मी का मौसम बिहार में मार्च के अंत से शुरू होता है और जून तक चलता है। इस दौरान राज्य में तापमान लगातार बढ़ता है। मार्च में तापमान 30°C के आसपास रहता है, लेकिन अप्रैल और मई में यह बढ़कर 35°C से 45°C तक पहुँच जाता है। जून के आते-आते तापमान में थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन गर्मी अभी भी महसूस होती है।
गर्मी के मौसम में, हवा में नमी की मात्रा भी बढ़ जाती है, जिससे असहनीय गर्मी का एहसास होता है। दिन के समय गर्मी के साथ-साथ, रात के समय भी तापमान अधिक रहता है, हालांकि गर्मी की तीव्रता कम हो जाती है। इस अवधि के दौरान, विशेष रूप से मई और जून में, लू (heatwaves) भी चलती हैं, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।
गर्मी के मौसम में किसानों को विशेष ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि सूखा और पानी की कमी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके चलते कृषि कार्यों में समस्याएँ आ सकती हैं और फसलों की सिंचाई पर विशेष ध्यान देना पड़ता है।
### 2. **मानसून (जून से सितंबर)**
मानसून का मौसम बिहार में जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में शुरू होता है और सितंबर तक चलता है। इस दौरान, दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाएँ बिहार में आती हैं, जिससे भारी बारिश होती है। वर्षा की औसत मात्रा 1,200 से 1,500 मिमी के बीच रहती है, लेकिन यह क्षेत्र के अनुसार बदल सकती है।
मानसून की शुरुआत में, बिहार में बारिश के साथ-साथ ठंडी हवाएँ भी चलती हैं, जो गर्मी की तीव्रता को कम कर देती हैं। जुलाई और अगस्त में, अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, विशेषकर गंगा, कोसी, और गंडक जैसी नदियों के किनारे वाले इलाकों में। बाढ़ से कृषि, परिवहन और स्थानीय जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
मानसून की बारिश से नदी-नाले भर जाते हैं और खेतों में जल संचय होता है, जो फसलों के लिए लाभकारी होता है। लेकिन अत्यधिक बारिश की वजह से जलभराव और बाढ़ की समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं, जो कई बार जनजीवन को प्रभावित कर देती हैं।
### 3. **शीतल (अक्टूबर से नवंबर)**
मानसून के बाद का समय शीतल मौसम का होता है, जो अक्टूबर से नवंबर तक रहता है। इस अवधि में, बिहार का मौसम काफी सुखद और सुहावना हो जाता है। तापमान 20°C से 30°C के बीच रहता है, और हवा में नमी की मात्रा कम हो जाती है।
इस मौसम में मौसम की ठंडक के साथ-साथ, सुबह और शाम के समय ठंडी हवा चलती है, जो गर्मी से राहत देती है। कृषि कार्यों के लिए यह समय अत्यंत उपयुक्त होता है, क्योंकि हवा की ठंडक और सूखा मौसम फसलों की अच्छी वृद्धि के लिए लाभकारी होते हैं।
शीतल मौसम में, बिहार में विभिन्न त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और बाहर समय बिताने के लिए अनुकूल होता है।
### 4. **सर्दी (दिसंबर से फरवरी)**
सर्दी का मौसम बिहार में दिसंबर से शुरू होता है और फरवरी तक चलता है। इस समय, तापमान 5°C से 20°C तक गिर जाता है। दिसंबर और जनवरी में विशेष रूप से ठंडक बढ़ जाती है, और कुछ क्षेत्रों में शीतलहर (cold wave) भी चलती है।
सर्दियों के दौरान, सुबह और शाम के समय कोहरा छा जाता है, जिससे दृश्यता कम हो जाती है। कोहरे के कारण सड़क और रेल परिवहन प्रभावित हो सकता है। सर्दी के मौसम में, दिन के समय धूप की गर्मी से राहत मिलती है, लेकिन रात के समय तापमान में काफी गिरावट आती है।
सर्दियों में, बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अपनी फसल की कटाई और अन्य कृषि कार्य करते हैं। इस समय फसलें भी अच्छी तरह से पकती हैं और किसान अच्छे उत्पादन की उम्मीद करते हैं।
### जलवायु की समग्र विशेषताएँ:
- **नमी और वर्षा:** बिहार में वर्षा का वितरण असमान हो सकता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में नमी की मात्रा भिन्न होती है। मानसून के दौरान भारी बारिश के कारण बाढ़ की संभावना रहती है, जबकि गर्मी के मौसम में सूखा और पानी की कमी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- **जलवायु परिवर्तन:** बिहार जैसे क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखा जा सकता है, जिसमें मौसम की चरम स्थितियाँ, जैसे अत्यधिक गर्मी और भारी बारिश, अधिक सामान्य हो गई हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनिश्चितता बढ़ गई है, जो कृषि और स्थानीय जीवन पर प्रभाव डाल रही है।
- **सुरक्षा उपाय:** विभिन्न मौसमों के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा के उपाय करना आवश्यक है। गर्मी में हाइड्रेशन बनाए रखना, मानसून में बाढ़ के प्रति सतर्क रहना, और सर्दियों में ठंड से बचाव के उपाय अपनाना महत्वपूर्ण है।
बिहार की जलवायु की विविधता राज्य के कृषि, जीवनशैली, और सांस्कृतिक गतिविधियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। प्रत्येक मौसम के अनुसार जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझना और उसके अनुसार तैयारी करना आवश्यक होता है।
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