गया संवाददाता नन्का पासवान
मजदूर दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं ।आज है 1मई 2020 मजदूर दिवस, मजदूर दिवस प्रति- वर्ष 1मई को मजदूरों के अधिकार दिलाने, मजदूर संगठनों को मजबूत करने के हक मे भीमराव अंबेडकर ने दिलाया था।यह १८८६ शिकागो मे मजदूरों के आठ घंटे कार्य करने की मांग की जीत के फलस्वरूप मे मनाया जाता है।इसका उध्देश्य मजदूरों के अधिकार के लिए लडने वाले लोगों के बलिदान को याद करना भी है।इसकी शुरुआत1मई१८२३ को चेन्नई में हुई।इसकी२०१८की थीम सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिकों को एक जुट करना है।मजदूर वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराजगी शुरू से ही है, सरकार से कर रहे मजदूरी भत्ता को लेकर।ये नाराजगी भी बिल्कुल सही है,
क्योंकि इसके लिए सरकार की आंखेँ देर से खुलती है।दिन रात खून-पसीना बहाकर कार्य करने वाले मजदूर से सेवा लेकर उसे फिर से वहीं पहूंचा दिया जाता है जहाँ से वो आया था अगर ये मजदूर न रहे तो सरकार के लगाई गई ड्यूटी गली -गली जाकर कुडा -कचरा उठाना कारखानों में छोटे-बडे नट -वोल्ट कसना पानी पिलाना अगर सही तरीके से देखा जाए तो सरकार को एक नजर इन भाई -बंधुओं के बारे में सोचना चाहिए ऐसे तो आज -कल सबकुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा की जा रही है और करने का प्रयास है लेकिन कुछ कार्य ऐसे हैं जो इनके बिना हो भी नहीं सकता।क्यों न हम इनके लिए कुछ ऐसा करें जिससे कि इनका आनेवाले पीढियों मे सुधार हो।हमें वो काम अपने बच्चों से करवाना है जिस काम से हम वंचित रह गए मैं कहना चाहती हूं वैसे मजदूर भाई से जो कुछ पैसों से घर-परिवार चलाकर अपनी खुशमय जीवन बिताते हैं और अपने बच्चों के लिए उनकी भविष्य को लेकर सपने सजाते हैं ।
मजदूर दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं ।आज है 1मई 2020 मजदूर दिवस, मजदूर दिवस प्रति- वर्ष 1मई को मजदूरों के अधिकार दिलाने, मजदूर संगठनों को मजबूत करने के हक मे भीमराव अंबेडकर ने दिलाया था।यह १८८६ शिकागो मे मजदूरों के आठ घंटे कार्य करने की मांग की जीत के फलस्वरूप मे मनाया जाता है।इसका उध्देश्य मजदूरों के अधिकार के लिए लडने वाले लोगों के बलिदान को याद करना भी है।इसकी शुरुआत1मई१८२३ को चेन्नई में हुई।इसकी२०१८की थीम सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिकों को एक जुट करना है।मजदूर वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराजगी शुरू से ही है, सरकार से कर रहे मजदूरी भत्ता को लेकर।ये नाराजगी भी बिल्कुल सही है,
क्योंकि इसके लिए सरकार की आंखेँ देर से खुलती है।दिन रात खून-पसीना बहाकर कार्य करने वाले मजदूर से सेवा लेकर उसे फिर से वहीं पहूंचा दिया जाता है जहाँ से वो आया था अगर ये मजदूर न रहे तो सरकार के लगाई गई ड्यूटी गली -गली जाकर कुडा -कचरा उठाना कारखानों में छोटे-बडे नट -वोल्ट कसना पानी पिलाना अगर सही तरीके से देखा जाए तो सरकार को एक नजर इन भाई -बंधुओं के बारे में सोचना चाहिए ऐसे तो आज -कल सबकुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा की जा रही है और करने का प्रयास है लेकिन कुछ कार्य ऐसे हैं जो इनके बिना हो भी नहीं सकता।क्यों न हम इनके लिए कुछ ऐसा करें जिससे कि इनका आनेवाले पीढियों मे सुधार हो।हमें वो काम अपने बच्चों से करवाना है जिस काम से हम वंचित रह गए मैं कहना चाहती हूं वैसे मजदूर भाई से जो कुछ पैसों से घर-परिवार चलाकर अपनी खुशमय जीवन बिताते हैं और अपने बच्चों के लिए उनकी भविष्य को लेकर सपने सजाते हैं ।
बहुत खुशनसीब होते हैं ऐसे लोग जो कम से कम मे भी वो पूरी दुनिया कि खुशी को पा सकते हैं वरना पैसेवालों तो सदैव पैसो की बात करते हैं।आज भी ये मजदूर ही है जो अपनी जान को खतरे मे डालकर गल-गली सेनेटाइजर कर रहा है ।जो इन्हें समझते हैं वही इनपर फूलों की बरसात करते हैं वरना किसमें इतनी साहस है जो सही तरीके से उनसे बात करें।एकबार मैं फिर से देश के नौजवान ,मजदूर ,किसान, बाँडर पर खडे जवान भाई और साथ में परे देश वासियों को मजदूर दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। जय हिंद, जय भारत, जय संविधान .......
प्रतिभा कुमारी गया....।
प्रतिभा कुमारी गया....।
No comments:
Post a Comment